हो छोटा सही पर समर चलने देना । दिया देहरी पर सतत जलने देना ।। हो छोटा सही पर समर चलने देना । दिया देहरी पर सतत जलने देना ।।
गृहलक्ष्मी के यूँ घर छोड़ कर चले जाने से व्यथित दहलीज अपनी व्यथा बयान करती है गृहलक्ष्मी के यूँ घर छोड़ कर चले जाने से व्यथित दहलीज अपनी व्यथा बयान करती है
बगल में एक पुराना पेपर पड़ा था। टाइम पास के लिए उसे पढ़ने लगा। लिखा था :- बगल में एक पुराना पेपर पड़ा था। टाइम पास के लिए उसे पढ़ने लगा। लिखा था :-
वापसी पर वापसी पर
घरेलू नौकरानी के महत्व पर प्रकाश डालता व्यंग्य पढ़िए और हंसिये मुस्कुराइये । घरेलू नौकरानी के महत्व पर प्रकाश डालता व्यंग्य पढ़िए और हंसिये मुस्कुराइये ।
।मैं हमेशा सोचता रहा मेरा भाई कितना अच्छा है पर कल जो देखा मेरी आंखे फटी की फटी रह गई। ।मैं हमेशा सोचता रहा मेरा भाई कितना अच्छा है पर कल जो देखा मेरी आंखे फटी की फटी ...